लेखनी प्रतियोगिता-अंतर मन की व्यथा-12-Apr-2023
अंतर मन की व्यथा
किसे बयां करू मैं अपनी व्यथा
दर्दे दिल घायल हो गया
दर्द अब नासूर बन गया
सपनों में यू मिलना भी उड़ान छू हो गया
आसूं भी अब सुख गए
उन्हें देखे अरसा गुजर गया
चोट जो लगी शरीर पर
वह तो सहन कर गए
ईस बेबस दिल की तड़पन को न सह पाए
दिल में अरमा भी सूख गए
प्यार का समुद्र भी सूख गया
शरीर अब ढांचा रह गया
प्राण अब मात्र शेष रहे
अब आंखें भी पथरा गई
बहुत देर करदी उन्होंने आते आते।
विजय पोखरणा "यस"
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Alka jain
13-Apr-2023 09:50 AM
Nice 👌
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VIJAY POKHARNA "यस"
13-Apr-2023 11:59 AM
🙏🙏
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Punam verma
13-Apr-2023 09:19 AM
Very nice
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VIJAY POKHARNA "यस"
13-Apr-2023 11:58 AM
🙏🙏
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Abhinav ji
13-Apr-2023 08:32 AM
Very nice 👍
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VIJAY POKHARNA "यस"
13-Apr-2023 08:59 AM
🙏🙏
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